बिटिया

ना जाने वो कैसी होगी
किस हाल में होगी
यही सोचकर व्याकुल होता है मन
पर जब उससे फोन पर बात हो जाती है
मन को तसल्ली सी हो जाती है
पता नहीं उसने कुछ खाया भी होगा या नहीं
पहले तो सबके लिए बनाया होगा
फिर शायद थोड़ा कुछ खाया होगा
शायद वो बिजी होगी, बस यही सोचकर उसको डिस्टर्ब नहीं करती, वरना मन करता है उससे ढेरों बातें करूँ
हर पल उसके फ़ोन का इंतजार रहता है मुझे
ऑफिस के काम के साथ साथ घर का काम भी करती होगी
सब कुछ नया – नया सा होगा उसके लिए
महौल नया, लोग नए
उस महौल में ढल तो जाएगी वो
ख़ुद से ही सवाल करती हूँ
जानती हूँ उसकी पैम्परिंग नहीं होती होगी वहाँ
पर ख़ुद के मन को को समझाती हूँ कि अब वही उसका घर है, उसे हर तरह से एडजस्ट करना चाहिए
क्या करूँ फिर भी आज दिल नहीं माना
उसके यहाँ नाश्ता बना कर भेज दिया, दिल को थोड़ा सुकून मिल गया
पता नहीं उसकी सास की प्रतिक्रिया क्या रही होगी
खैर जो भी हो समझ गई होंगी कि माँ के मन की भावना होगी
उसके पापा भी उसे मिस करते हैं, बस कुछ कहते नहीं हैं
याद तो उसे भी आती है पर जब बिजी होती है तो माइंड डाइवर्ट हो जाता है
अब हर काम में हाथ बटाती है वो
वो नन्ही सी कली, प्यारी सी परी अब बड़ी हो गई है
वो नाज़ नखरे दिखाने वाली अब सबके नखरे सहती है
बस यही दुआ करती हूँ कि वो हमेंशा खुश रहे!!
# शालिनी

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